All Employee CareTeam-Uttar Pradesh (AECT-UP)
नियमावली
🙏सेवा परमो धर्म:🙏
उत्तर प्रदेश के समस्त सरकारी विभागों में कार्यरत स्थाई तथा संविदा कर्मचारी, जुड़ कर अपने परिवार को तथा स्वयं को आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर सकते है।
समस्त विभागों के अधिकारी भी जुड़ कर स्वयं तथा अपने परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करके इस पुण्य कार्य में सहभागी बन सकते है।
कुछ सरकारी विभागों के द्वारा मानव संपदा संपदा (Ehrms) अब तक नही दिया गया है तो ऐसे सरकारी विभाग के स्थाई/संविदा कर्मचारी अपना प्रथम नियुक्ति आदेश का पत्रांक तथा दिनांक मानव संपदा आई डी(Ehrms) के स्थान पर अंकित करके जुड़ सकते है।
जब विभाग के द्वारा मानव संपदा आई डी (EHrms) उनको दी जाएगी तब वह उसको अपडेट कर देंगें।
कुछ सरकारी विभागों के द्वारा मानव संपदा (Ehrms) अब तक नही दिया गया है तो ऐसे सरकारी विभाग के स्थाई/संविदा कर्मचारी अपना प्रथम नियुक्ति आदेश का पत्रांक तथा दिनांक मानव संपदा आई डी (Ehrms) के स्थान पर अंकित करके जुड़ सकते है।
पुलिस विभाग के कर्मचारी तथा अधिकारी अपना PNO अंकित करके जुड़ सकते है।
All Employee CareTeam-Uttar Pradesh (AECT-U.P.) की स्थापना दिनांक: 15-01-2024 को उत्तर प्रदेश के समस्त सरकारी विभागों में कार्यरत समस्त स्थाई तथा संविदा कर्मचारियों के सेवाकाल के दौरान दिवंगत हो जाने पर उनके नामिनी/परिवार को संस्था में जुड़े सदस्यों के आपसी से सहयोग तत्कालिक आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु बनाई गयी है।
साथ ही साथ उत्तर प्रदेश के समस्त सरकारी विभाग में कार्यरत स्थाई तथा संविदा कर्मचारी जो संस्था की नियमावली के तहत वैधानिक सदस्य है उनको आर्थिक कमजोरी के कारण अपनी बेटियों का विवाह करने में समस्या आ रही है उनको विवाह (कन्यादान) सहयोग योजना के द्वारा संस्था में जुड़े सदस्यों के स्वैक्षिक आपसी सहयोग से आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु बनाई गई है।
(वर्तमान में बेटी विवाह (कन्यादान) सहयोग योजना में सहयोग करना ऐक्षिक है)।
All Employee Care Team-Uttar Pradesh (AECT-U.P.) में उत्तर प्रदेश के समस्त सरकारी विभाग में कार्यरत समस्त स्थाई तथा संविदा कर्मचारी जिनकी मानव संपदा आई डी (Ehrms) विभाग द्वारा है वो स्वेच्छा से समस्त नियम एवं शर्तो से सहमति के उपरांत वेबसाइट https://aectup.com के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करके जुड़ सकते हैं।
All Employee CareTeam-Uttar Pradesh (AECT-UP) से जुड़ने हेतु किसी भी प्रकार का कोई सदस्यता शुल्क नही लिया जाता है।
All Employee CareTeam-Uttar Pradesh (AECT-UP)में सदस्यता पूरी तरह निःशुल्क है।
किसी भी सरकारी विभाग के कर्मचारी को बाध्य करके All Employee CareTeam- Uttar Pradesh (AECT-UP)से नही जोड़ा जाता है।
All Employee CareTeam-Uttar Pradesh (AECT-UP) का संचालन - All Employee Teachers Care Parivar Kalyan Samiti - U.P. (पंजीकरण संख्या HAR/05336/2024-2025) करती है।
मुख्य नियम (सदस्यों हेतु)-
1- All Employee Care Team-Uttar Pradesh (AECT-UP) की स्थापना उत्तर प्रदेश के समस्त सरकारी विभाग के सभी स्थाई /संविदा कर्मचारियों के लिए किया गया है।
2- All Employee Care Team-Uttar Pradesh (AECT-UP) से जुड़ने हेतु आवश्यक सूचना संबंधी फ़ार्म भरकर, रजिस्ट्रेशन किया जाना अनिवार्य है, साथ ही AECT-UP का सोशल मीडिया टेलीग्राम पर आधिकारिक ग्रुप बनाया गया है, जिस पर , तथा वेबसाइट पर समय-समय पर सहयोग, नियम तथा अन्य महत्वपूर्ण सूचनाएं प्रदान की जाती रहती हैं।
यही कारण है कि,AECT- UP का सदस्य बनने के साथ ही महत्वपूर्ण सूचनाओं से अपडेट रहने हेतु टेलीग्राम ग्रुप और AECT-UP की वेबसाइट को सप्ताह में कम से कम दो बार देखने और अपडेट रहने की भी बाध्यता रखी गयी है।
कोई भी कर्मचारी सदस्य अगर टेलीग्राम ग्रुप तथा AECT-UP की वेबसाइट नियमतः नहीं देखता और संबंधित सूचनाएं यदि नहीं प्राप्त कर पाता तो संबंधित सदस्य स्वयं जिम्मेदार होगा।
फिर भी प्रयास किया जाता है कि, अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म तथा जनपदीय टीम के माध्यम से भी आवश्यक सूचनाओं का प्रसारण किया जाता है।
3- AECT-UP में सदस्यता पूरी तरह निःशुल्क है, टीम से जुड़ने के लिए कोई शुल्क नही लगता, बस दिवंगत सदस्यों के परिवार को सहयोग भेजना अनिवार्य होता है।
4- AECT-UP में जुड़ने/ रजिस्ट्रेशन के उपरांत 30 दिन का लॉक इन पीरियड होगा, लॉक इन पीरियड की अवधि के दौरान आने वाले सभी सहयोग करना अनिवार्य होगा।
5 - 30 दिन के लॉक इन पीरियड से तात्पर्य यह है रजिस्ट्रेशन/जुड़ने के उपरांत कर्मचारी सदस्य ने 30 दिन पूरा किया हो तथा इस दौरान जारी किए गए सभी सहयोग को अनिवार्य रूप से किया हो,31 वें दिन वो वैधानिक सदस्य हो जायेगा, लॉक इन पीरियड के दौरान किसी भी विभाग के कर्मचारी सदस्य की मृत्यु होने पर उसके नॉमिनी द्वारा सहयोग का दावा नहीं किया जा/ सकेगा।
6- ऐसे सदस्य जिनकी मृत्यु सदस्य बनने के 31 वें दिन या इसके बाद हो जाती है, और उनके द्वारा लॉक इन पीरियड में कोई सहयोग इसलिए नहीं किया गया हैं क्योंकि AECT-UP के द्वारा कोई सहयोग की घोषणा/अपील नही की है,और ऐसे सदस्य की बिना कोई सहयोग किए ही मृत्यु हो जाती है तो उनके नामिनी को AECT-UP द्वारा सहयोग हेतु अपील की जायेगी, क्योंकि उन्हें सहयोग करने का अवसर नहीं मिला इसलिए उसका सहयोग किये जाने का प्रावधान होगा।
7- यदि कोई कर्मचारी AECT- UP में रजिस्ट्रेशन से पूर्व गंभीर बीमारी से ग्रसित है तो ऐसे स्थिति में लॉक इन पीरियड 24 माह (731वें दिन) वैध सदस्य हो जाएगा तब दिवंगत होने पर उसकी नामिनी/परिवार सहयोग पाने का पात्र होगा साथ ही साथ जुड़ने के बाद उसके द्वारा संस्था द्वारा जारी किए गए सहयोग अलर्ट में 90% सहयोग किया हो तभी उसका परिवार सहयोग पाने हेतु पात्र होगा। किंतु यदि गंभीर बीमार सदस्य की मार्ग दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है और उसने संस्था में जुड़ने के बाद यदि 180 दिन पूर्ण कर लिया है और जुड़ने के बाद जारी सहयोग अलर्ट में उसके द्वारा 90% सहयोग किया तो उसका परिवार/नामिनी सहयोग पाने का पात्र होगा,ऐसे स्थिति में यह माना जायेगा की सदस्य की मृत्यु गंभीर बीमारी से नही मार्ग दुर्घटना में हुई है। किंतु मार्ग दुर्घटना का पूर्ण साक्ष्य एफ आई आर की कॉपी और फोटोग्राफ देकर मार्ग दुर्घटना हुई है यह सिद्ध करना पड़ेगा तत्पश्चात इसकी जांच AECT-UP के द्वारा निर्धारित टीम करेगी और पूर्ण संतुष्ट होने पर ही सहयोग हेतु अपील की जाएगी। ( गंभीर बीमारी को अपनी प्रोफाइल में अपडेट करना अनिवार्य है)
8- AECT-UP में जुड़ने के उपरांत जितने सहयोग जारी किए जाएंगे सभी सहयोग करना अनिवार्य है. फिर भी यदि किसी सदस्य का कोई सहयोग छूट गया है और वह दिवंगत हो जाता है तो यह देखा जाएगा कि क्या उसने सदस्यता ग्रहण/रजिस्ट्रेशन करने के उपरांत और अपनी मृत्यु से पहले जारी किए गए कुल सहयोग का 90% सहयोग किया है? यदि उसने 90 % सहयोग किया है तो उसे वैधानिक सदस्य माना जाएगा, 90% सहयोग के नियम पर विचार तभी किया जाएगा ज़ब उसने न्यूनतम कुल 10 सहयोग में से 9 सहयोग किया हो.उनके दिवंगत हो जाने पर नामिनी सहयोग प्राप्त करने हेतु पात्र होंगें।
9- यदि किसी भी विभाग के कर्मचारी सदस्य द्वारा रजिस्ट्रेशन करते समय या बाद में किसी गम्भीर बीमारी के हो जाने पर अपनी प्रोफाइल में दर्ज/अपडेट नही करता है छुपा लेता है,तो संज्ञान में आने पर उसको तथ्य गोपन की श्रेणी में मानते हुए उसके नामिनी को सहयोग हेतु अपील/सहयोग नही किया जाएगा, गम्भीर बीमारियों की श्रेणी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा सूचीबद्ध की गई बीमारियों से मान्य होगी।
10- AECT-UP की कोर टीम सहयोग अपील/आह्वान हेतु अपने स्वविवेक का इस्तेमाल करके निर्णय लेने को भी स्वतंत्र होगी, वैधानिकता या किसी भी प्रकार के मामलों में जहां उचित समझेगी अपने स्तर से परीक्षण करने को स्वतंत्र होगी, कोई भी सदस्य/नॉमिनी सहयोग प्राप्त करने हेतु कानूनी दावा/अधिकार नही कर सकेगा,बल्कि संस्था नैतिक रूप से आर्थिक सहयोग करवाने का प्रयास करेगी।
11- AECT-UP दिवंगत सदस्यों के एक से अधिक नॉमिनी होने की स्थिति में दोनो नॉमिनी को 50%-50% सहयोग सुनिश्चित करने हेतु AECT-UP स्वतंत्र होगी, जिस पर लाभार्थी द्वारा किसी भी प्रकार की कानूनी या गैर कानूनी कदम नही उठाया जा सकेगा, लाभार्थी या उसके परिवार द्वारा संस्था के प्रति मिथ्या आरोप लगाने/ भ्रम फैलाने / दुष्प्रचार करने या दुर्व्यवहार करने पर सहयोग की गई राशि वापस करवाकर किसी अन्य दिवंगत परिवार को हस्तांतरित करवाने का अधिकार रखती है। ऐसे मामलों में टीम कानूनी कार्यवाही भी करने के लिए स्वतंत्र होगी।
12- सहयोग के दौरान या उसके बाद यदि किसी भी विभाग के कर्मचारी सदस्य द्वारा गलती से अधिक धनराशि किसी सहयोग हो रहे/ हो चुके नामिनी के खातें में भेज दी जाय तो उचित साक्ष्य प्रस्तुत करने पर नामिनी को सदस्य के खाते में वापस करना पड़ेगा। इस हेतु प्रदेश कोर टीम गारंटी नही ले सकेगी किंतु नियमानुसार गलती से भेजी गई धनराशि को वापस करवाने हेतु सार्थक और पूर्ण प्रयास करेगी।
13- AECT-UP में रजिस्ट्रेशन/जुड़ने के उपरांत समस्त विभाग के कर्मचारी सदस्य द्वारा AECT-UP द्वारा घोषित कम से कम 90% अथवा पिछले लगातार 02 सहयोग अवश्य दिवंगत सदस्य द्वारा किया गया हो,अथवा यदि सहयोग की घोषणा नही हुई है तो उसमे 30 दिन जुड़ने के बाद पूर्ण किया हो 31वें दिन से वो वैधानिक सदस्य माना जायेगा,तभी उनके नामिनी/परिवार को सहयोग प्राप्त होगा/सहयोग हेतु अपील की जाएगी।
14- सदस्य बनने के बाद लॉक इन पीरियड की अवधि में तथा बाद में भी समस्त सहयोग करने के बाद नियमतः जारी वेबसाइट पर रसीद अपलोड करना अनिवार्य होगा।
15- यदि किसी भी विभाग के कर्मचारी के द्वारा सदस्य बनने के बाद सहयोग की अपील में अपना सहयोग नहीं किया गया है, अथवा उसके द्वारा कई सहयोग नही किया गया है, ऐसी स्थिति में वह वैधानिक सदस्य नहीं होगा। ऐसे सदस्य निम्न नियम के तहत अपनी वैधानिकता पुनः सक्रिय कर सकेंगे-
अगले लगातार घोषित 03 सहयोग करके सदस्यता पुनः दिवंगत होने पर नामिनी को मिलने वाले सहयोग की सदस्यता बहाल की जा सकेगी, 03 सहयोग पूरा होने तथा साथ ही साथ इस स्थिति में उसका लाक इन पीरियड 90 दिन होगा, इस बीच में यदि वह सदस्य दिवंगत हो जाता है तो उसकी नामिनी सहयोग प्राप्त करने हेतु वैध नही होगी, 03 सहयोग तथा साथ साथ 90 दिन का लाक इन पीरियड पूरा करने के उपरांत ही वह वैधानिक सदस्य होंगे,लेकिन इस नियम का लाभ एक ही बार प्राप्त होगा।
16- किसी अन्य व्यस्तता, पारिवारिक व्यस्तता, समारोह, कार्यक्रम आदि अन्य स्थितियों स्वयं या पारिवारिक आदि की स्थिति में सहयोग छूट जाने की दशा में दावा मान्य नही होगा, इस हेतु क्रमिक सहयोग करके वैधानिकता बहाल करने की व्यवस्था 10 बार सहयोग के बाद 90% अवसरों में सहयोग की स्थिति सम्बन्धी नियम लागू होगा।
17- कम से कम 10 सहयोग हो जाने के बाद यह देखा जा सकेगा की किसी सदस्य ने 90% अवसरों पर यानी 10 में से 09 बार कम से कम यदि सहयोग किया है, तो उसे किसी 01 सहयोग न कर पाने के कारण उसकी सदस्यता निलंबित नही होगी और दिवंगत होने की स्थिति में भी उनके नामिनी को सहयोग हेतु अपील की जाएगी। बशर्ते सहयोग न कर पाने का वास्तविक संतोषजनक कारण हो।
18-यदि किसी भी विभाग का कर्मचारी वैधानिक सदस्य पूर्व में सभी सहयोग कर रहा था और वैधानिक सदस्य था किंतु गतिमान सहयोग के दौरान (सहयोग शुरू होने की तिथि से सहयोग खत्म होने तक) सहयोग तिथि समाप्त होने से पूर्व सहयोग नही किया रहता और उसी दौरान उसकी दुःखद मृत्यु हो जाती है तो वह लाभ का पात्र माना जायेगा क्योंकि यह माना जायेगा कि वह जीवित होते तो पूर्व की भाँति सहयोग करते, किंतु अगर सहयोग समाप्त हो जाने के बाद मृत्यु होती है तो गतिमान सहयोग की छूट का लाभ नही दिया जा सकेगा। जैसे- सहयोग शुरू होने के पूर्व या शुरू होने के दिन या गतिमान सहयोग के दौरान कोई सदस्य हॉस्पिटल में भर्ती होता है और उसकी मृत्यु हो जाती है तो उस स्थिति में दिवंगत सदस्य के परिवार को सहयोग किया जा सकेगा। यहां पर यह भी देखा जाएगा कि उस स्थिति में गतिमान सहयोग पूर्ण गया, उस स्थिति में सहयोग करना जरूरी होगा। सहयोग समाप्त हो जाने के बाद मृत्यु होने की स्थिति में सहयोग नही दिया जा सकेगा।
यह नियम सिर्फ सदस्य के स्वयं के अपरिहार्य हालात जैसे गम्भीर दुर्घटना/ बीमारी/अस्पताल में होने की स्थिति में ही मान्य होगा।
19- आत्महत्या या किसी विवादित केस या अन्य केस जो संज्ञान लेने लायक हो, में प्रदेश कोर टीम के पास पड़ताल करके वस्तु स्थिति से अवगत होने के बाद निर्णय लेने का अधिकार होगा। जिला इकाई या सदस्यों की राय भी ली जा सकती है किंतु अंतिम निर्णय प्रदेश कोर टीम का मान्य होगा।
20- वस्तुतः एक से अधिक कर्मचारी वैधानिक सदस्यों की मृत्यु होने पर उसकी मृत्यु की तिथि के क्रम में ही सहयोग किया जाएगा। किंतु यदि किन्ही दो या अधिक सदस्यों की मृत्यु एक ही तिथि में होती है तो ऐसी स्थिति में उस सदस्य का सहयोग पहले किया जाएगा जिसके सहयोग करने का प्रतिशत/औसत अधिक होगा। उसके बाद अन्य का।
उपरोक्त प्रकरणों में किसी विशेष परिस्थिति जैसे स्थलीय निरीक्षण न हो पाना, कुछ तकनीकी कमी आदि मामलों में कोर टीम सहयोग के क्रम का निर्णय अपने विवेकानुसार ले सकेगी।
21- व्यवस्था शुल्क यह अनिवार्य नहीं है, ऐच्छिक है।
AECT-UP के कर्मचारी सदस्य चाहे वो समिति/संस्था के द्वारा व्यव्था शुल्क हेतु उपलब्ध कराए गए खाते में व्यवस्था शुल्क मात्र 50/- रुपए वार्षिक जमा करके उपरोक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
जिन सदस्यों ने व्यवस्था शुल्क समिति के खाते में जमा किया है उनको किसी दुर्घटना होने पर 01 लाख रुपए या उससे अधिक का बिल लगने पर 15,000 हजार रुपए से 25,000 हजार रुपए तक की मदद की जाएगी जो निम्नलिखित नियम एवं शर्तो के अधीन होगी (अभी यह लाभ योजना विचाराधीन है) -
* दुर्घटना में इलाज में सहयोग शुरुआत अभी नही हुई है यह विचाराधीन है, इसको किया जाना प्रस्तावित है, जिसकी नियम व शर्त निम्न है-
नोट- दुर्घटना में इलाज हेतु 60 दिन का लॉक इन पीरियड शुल्क जमा होने के 60 दिन पूर्ण होने बाद ही होने वाली दुर्घटना पर लाभ 61 वें दिन से दिया जाएगा।साथ ही यह मदद अतिरिक्त लाभ के तौर पर दी जा रही है उपरोक्त सहयोग और राशि टीम के पास उपलब्ध धन पर निर्भर करेगा (यदि संस्था के पास व्यवस्था शुल्क से धन उपलब्ध है तभी दुर्घटना सहयोग मिलेगा)।
* यह सुविधा AECT-UP के वैधानिक सदस्य को ही मिलेगी, लाभ प्राप्त करने हेतु सदस्य द्वारा व्यवस्था शुल्क जमा करने की तिथि से 01 वर्ष पूरा होने तक लागू रहेगी, उसके पश्चात पुनः वार्षिक आधार पर व्यवस्था शुल्क जमा करना होगा।
* यह सुविधा सिर्फ व्यवस्था शुल्क देने वाले को ही मिलेगी।
* इस व्यवस्था के लिए कुल व्यवस्था शुल्क की 50% राशि ही उपयोग की जाएगी।
* यह लाभ उन्हें ही मिलेगा जिनका इलाज का खर्च 01 लाख रुपए से अधिक का होगा।
* यह राशि तुरंत न दे कर स्थलीय निरीक्षण के बाद ही दी जाएगी, कैशलेस या हास्पिटैलिटी के समय ही यह खर्च दिया जाएगा यह जरूरी नही होगा, समय से सहयोग करने का प्रयास रहेगा लेकिन समस्त औपचारिकताओं की जांच करने के उपरांत ही अस्पताल के खातों में सहयोग भेजा जाएगा।
* किसी अन्य परिस्थिति के हिसाब से कोर टीम निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगी।
* यह सुविधा सिर्फ दुर्घटना में ही मिलेगी, बीमारी आदि के इलाज पर नही (भविष्य में बीमारी को कवर करने हेतु योजना की जाएगी)।
* संसाधनों को देखते हुए और इलाज की गम्भीरता तथा उस पर खर्च को देखते हुए न्यूनतम 15,000 रुपए औऱ अधिकतम 25,000 रुपए की ही मदद अभी की जाएगी संसाधन बढ़ने पर ये राशि बढ़ाई जा सकती है।
(अभी यह योजना प्रारंभ नही हुई है।)
* वैसे तो मृत्यु हेतु प्रदेश से जारी अलर्ट में 90% सहयोग करने के उपरांत ही कोई सदस्य यदि दिवंगत हो जाता हैं तो उसकी नामिनी सहयोग पाने के पात्र होंगे, लेकिन यदि किसी कर्मचारी सदस्य ने व्यवस्था शुल्क उस वर्ष का जमा किया है तो उसको 80% मृत्यु सहयोग करने पर ही उसके नामिनी को सहयोग पाने हेतु पात्र मान लिया जायेगा अर्थात उस वर्ष का व्यवस्था शुल्क जमा होने की स्थिति में 10% की छूट मिलेगी।
इसके अतिरिक्त समिति सभी सदस्यों को व्यवस्था शुल्क हेतु आयी राशि से उपरोक्त सुविधाएं प्रदान करेगी-
* वेबसाइट के निर्माण खर्च और सुचारू रूप से संचालन में।
* ऐप बनवाने और सुचारू संचालन में।
* कार्यालय और टेक्निकल सपोर्ट/स्टाफ रखने में जो सभी सदस्यों को तकनीकी मदद प्रदान करेगा।
* स्थलीय निरीक्षण करने में।
* AECT-UP से ज्यादा से ज्यादा संख्या में सरकारी विभाग में कार्यरत स्थाई तथा संविदा कर्मचारियों को जोड़ने के अभियान में तथा अन्य कार्य आवश्यक संस्था के विस्तार हेतु।
* समय-समय पर नई तकनीकी का इस्तेमाल में ताकि प्रक्रिया पारदर्शी के साथ-साथ आसान बनाया जा सके।
* व्यवस्था शुल्क का आय व्यय समय-समय पर नियमानुसार दिया जायेगा।
22- नॉमिनी सम्बन्धी विवाद या अन्य किसी विवाद की स्थिति में AECT-UP की प्रदेश कोर टीम/ समिति परीक्षणोपरांत निर्णय लेने और सहयोग करवाने हेतु स्वतंत्र होगी।
23- AECT-UP विरोधी गतिविधि,अनुशासनहीनता या किसी प्रकार की साजिश करने वालों के विरुद्ध AECT- UP कोर टीम के पास निर्णय लेने का अधिकार होगा, कोई भी सरकारी विभाग कर्मचारी AECT-UP में व्यवस्था संचालन हेतु पदाधिकारी रहने के साथ-साथ अन्य अपने सभी संघो में पदाधिकारी/ सदस्य के रुप में रह सकता है,यह कोई कर्मचारी/शिक्षक संगठन नही है केवल कर्मचारी परिवार की आर्थिक सुरक्षा हेतु एक ऐसी सामाजिक संस्था है जो कर्मचारी परिवारों को आपसी सहयोग से आर्थिक सहयोग करवाती है।
24- AECT-UP का वैध सदस्य कर्मचारी अथवा कोई भी व्यक्ति All Employee Care-Team Uttar Pradesh / All Employee Teachers Care Parivar Kalyan Samiti - U.P. के खिलाफ दुष्प्रचार या अफवाह फैलाता है, बिना सबूत या आंकड़े प्रस्तुत किये आरोप लगाता है तो संस्थापक/टीम/समिति उसके विरुद्ध किसी भी प्रकार की निर्णय/ कार्यवाही (कानूनी) करने हेतु स्वतंत्र होगी।
25- समय और आवश्यकता को देखते हुए AECT-UP के किसी भी नियमो में कभी भी संशोधन/परिवर्तन संस्थापक/प्रदेश कोर टीम द्वारा किया जा सकेगा। जो सभी कर्मचारी सदस्यों को सर्वमान्य होगा ,जिस पर कोई आपत्ति अथवा कोई कानूनी कार्यवाही किसी भी स्तर के मा.न्यायालय में अपील किसी के द्वारा नही किया जा सकता है।
26- AECT-UP सहयोग सीधे कर्मचारी जो संस्था के वैधानिक सदस्य है के परिवारों के नॉमिनी के खातों में करवाती है, इसलिए किसी भी प्रकार की न्यायिक (कानूनी) चुनौती देने का अधिकार किसी व्यक्ति या सदस्य के पास नहीं होगा।
27- AECT-UP किसी भी विभाग के कर्मचारी को जबरन या दबाव देकर सदस्य नहीं बनाती है, सदस्यों को नियम स्वीकार करके ही सदस्य बनने का विकल्प प्रदान किया जाता है, स्वेच्छा से कोई भी सदस्य कभी भी खुद को अलग कर सकता है।
28- AECT-UP से जुड़ने हेतु कोई भी सदस्यता शुल्क नहीं है, किसी भी सरकारी विभाग के स्थाई/संविदा कर्मचारी जिसकी विभाग के द्वारा मानव संपदा आई .डी. (Ehrms) है, नियम एवं शर्तो से सहमत होकर निःशुल्क रजिस्ट्रेशन करके सदस्य बन सकता है और सहयोग कर सकता है, सहयोग पाने हेतु उपरोक्त नियमों के तहत ही दावेदारी होगी।
29- परिस्थिति के अनुसार एक बार में एक से अधिक दिवंगत सदस्यों को AECT-UP सहयोग हेतु अपील जारी कर सकती है,उसको एक ही सहयोग माना जायेगा इस पर किसी के द्वारा आपत्ति नही की जा सकती है।
30- सभी विभाग के कर्मचारी समस्त नियमों को भली भांति पढ़ने के उपरांत रजिस्ट्रेशन करके सदस्य बने, बाद में उनके द्वारा यह दावा नही किया जा सकता है कि ,उनको उपरोक्त नियमों की जानकारी नही थी।
31 -AECT-UP अपने दिवंगत वैधानिक सदस्यों के नामिनी को सभी संस्था में जुड़े सभी वैधानिक सदस्यों से अपील करके आर्थिक सहयोग करवाती है,इसलिए कोई भी नामिनी/परिवार/कोई भी व्यक्ति इस हेतु कोई दावा/कानूनी कार्यवाही कही नही कर सकता है कि ,उसको कम आर्थिक सहायता प्राप्त हुई अथवा किसी दिवंगत सदस्य की नामिनी को अधिक आर्थिक सहायता राशि प्राप्त हुई थी/है,क्योंकि आर्थिक सहायता सदस्यों की इच्छा पर निर्भर है संस्था अधिक से अधिक सहयोग दिलवाने का पूर्ण प्रयास करेगी।
32- दिवंगत समस्त विभाग कर्मचारी वैधानिक सदस्यों के नामिनी को सहयोग हेतु प्रत्येक माह में एक बार 10 तारीख से 25 तारीख का समय सहयोग करने हेतु अपील/अलर्ट जारी किया जाएगा।
33- विवाह (कन्यादान) सहयोग प्राप्त करने हेतु नियम
* यदि किसी विभाग में कार्यरत कर्मचारी/अधिकारी जो नियमावली के अनुसार संस्था के वैधानिक सदस्य है किंतु उन्हें बेटी का विवाह आर्थिक कमजोरी की वजह से करने में समस्या आ रही है तो, तो ऐसी स्थिति में सरकारी विभाग कर्मचारी जो संस्था में वैधानिक सदस्य है बेटी के आधार कार्ड की छाया प्रति ,एक पासपोर्ट फोटो, विवाह का कार्ड, एक प्रार्थना पत्र विवाह के कम से कम एक माह पूर्व संस्था के संस्थापक के व्हाट्सएप मो०- 9838115400 पर उपलब्ध करवाएंगे।
* तत्पश्चात विवाह (कन्यादान) योजना सहयोग हेतु प्रदेश कोर टीम के द्वारा विचार के उपरांत निर्णय लेकर सहयोग हेतु अलर्ट जारी किया जायेगा जो सभी सदस्यों के लिए ऐक्षिक होगा।
* न्यूनतम धनराशि 11/रुपए और अधिकतम जितना सामर्थ्य/श्रद्धा हो उतनी कर्मचारी सदस्य/ बेटी जिसकी शादी है उनके खाते में सभी सदस्य ऐक्षिक रूप से सहयोग करेंगे।
* विवाह (कन्यादान) सहयोग सदस्यों की स्वयं की इच्छा पर निर्भर है, इसमें किसी के द्वारा कोई कानूनी दावा नही किया जा सकता है कि, किसी को धनराशि कम या ज्यादा प्राप्त हुई है।
* विवाह कन्यादान सहयोग अलर्ट उन्ही की बेटी के विवाह के लिए जारी किया जायेगा जिसने जुड़ने के बाद संस्था द्वारा जारी विवाह सहयोग अलर्ट में से कम से कम 90% जारी अलर्ट में सहयोग किया होगा।
* वर्तमान में बेटी विवाह (कन्यादान) योजना सहयोग पूर्ण ऐक्षिक है।
* उक्त का लॉकिंग पीरियड 365 दिन निर्धारित किया है, AECT-UP में कर्मचारी अथवा अधिकारी द्वारा रजिस्ट्रेशन करने/जुड़ने के बाद 366 वें दिन से बेटी के विवाह (कन्यादान) सहयोग प्राप्त करने हेतु पात्र होंगे यदि उनके द्वारा जुड़ने के उपरांत 90% कन्यादान (विवाह) योजना के जारी अलर्ट में सहयोग किया है।
AECTUP से जुड़े कर्मचारी जो वैधानिक सदस्य है उनके जीवित रहने पर ही स्वयं की अविवाहित बेटी के विवाह का सहयोग पाने के पात्र होंगे।
AECTUP संस्था से जुड़े कर्मचारी, अधिकारी सदस्यों जो बेटी के विवाह हेतु सहयोग ले रहे है,उन्हें अगले 2 वर्ष तक कन्यादान विवाह योजना के सभी सहयोग करना अनिवार्य होगा। (सहयोग की अपील से पूर्व उन्हें इस आशय का शपथ पत्र /नोटरी AECT-UP संस्था के संस्थापक को निर्धारित प्रारूप के अनुसार देना होगा, यदि सहयोग प्राप्त होने के उपरांत उनके द्वारा कन्यादान (विवाह) योजना में सहयोग नही किया जाता है तो संस्था द्वारा विधिक कानूनी कार्यवाही करते उनको प्राप्त समस्त सहयोग की धनराशि वापस ले ली जाए इस पर उन्हें कोई आपत्ति नही होगी)
ऐसे वापस लिए गए कन्यादान (विवाह) सहयोग को संस्था द्वारा निर्णय लेकर किसी अन्य कर्मचारी/अधिकारी के बेटी के विवाह में उक्त धनराशि से सहयोग कर दिया जाएगा।
AECTUP संस्था से जुड़ते समय यदि किसी कर्मचारी की सेवा/सेवनिवृत्ति मात्र 02 वर्ष से कम शेष है तो ऐसे सदस्य दिवंगत सहयोग का लाभ प्राप्त होगा किन्तु कन्यादान योजना का लाभ उन्हें देय नही होगा कन्यादान (विवाह) योजना का लाभ लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करते समय 02 वर्ष की सेवा अवशेष होना चाहिए।
यदि किसी कर्मचारी सदस्य की AECTUP संस्था में जुड़ने के बाद अगर उसकी दिवंगत होने पर मिलने वाले सहयोग की वैधानिक सदस्यता ब्रेक हुई तो उस कर्मचारी सदस्य को कन्यादान (विवाह) योजना का लाभ तभी मिल सकेगा जब वह पुनः दिवंगत होने वाले कर्मचारी के नामिनी मिलने वाले सहयोग की वैधानिकता को पूर्ण कर लिया हो तथा संस्था में प्रथम बार रजिस्ट्रेशन के उपरांत जारी सभी विवाह कन्यादान अलर्ट में 90% सहयोग किया हो तभी वह विवाह (कन्यादान) सहयोग पाने का पात्र होगा।
AECT-UP संस्था में जुड़े कर्मचारी वैधानिक सदस्यों के अविवाहित बेटी के विवाह में जुड़े सभी कर्मचारी सदस्यों से अपील करके आर्थिक सहयोग करवाती है,इसलिए कोई भी कर्मचारी, नामिनी, या परिवार कोई भी व्यक्ति इस हेतु कोई दावा/कानूनी कार्यवाही कही नही कर सकता है कि ,उसको कम आर्थिक सहायता प्राप्त हुई अथवा किसी अन्य सदस्य को अधिक आर्थिक सहायता राशि प्राप्त हुई थी/है,क्योंकि आर्थिक सहायता सदस्यों की इच्छा पर निर्भर है संस्था अधिक से अधिक सहयोग दिलवाने का पूर्ण प्रयास करेगी।
* यदि कोई कर्मचारी सदस्य गलत तरीके से कूटरचित तरीके से और तथ्य छुपाकर बिना बेटी की शादी किए गलत तरीके से सहयोग प्राप्त करने हेतु आवेदन करते है/सहयोग प्राप्त कर लेते है, तो संज्ञान में आने पर संस्था के द्वारा धनराशि वापस लेने हेतु तथा अन्य आवश्यक कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
34- AECT-UP द्वारा एक हेल्पलाइन नंबर- 9838115400 सदस्यों की सुविधा हेतु जारी किया गया है, जिस पर कॉल /व्हाट्सएप्प के माध्यम से जानकारी का आदान प्रदान किया जा सकता है, कोई भी सदस्य इस नम्बर पर कॉल या मैसेज करके सूचना दे/ले सकता है।
35- उपरोक्त नियमों से इतर हटकर न किसी सदस्य का सहयोग किया जा सकेगा जा सकेगा न ही किसी का सहयोग रद्द किया जा सकेगा
36- यदि कोई स्थाई/संविदा कर्मचारी/अधिकारी (AECT-UP) का सदस्य हैं वह बेटी कन्यादान योजना में सहयोग नहीं कर रहा है,तो वह बेटी कन्यादान योजना का सहयोग पाने का पात्र नहीं होगा, किंतु दिवंगत होने की स्थिति में यदि उसने जारी अलर्ट में दिवंगत परिवारों को 90% सहयोग किया है तो उसके नामिनी सहयोग पाने के पात्र होंगे।
37- व्यवस्था के सुचारू संचालन हेतु पदाधिकारी बनाने/हटाने का संपूर्ण अधिकार All Employee CareTeam-Uttar Pradesh के संस्थापक के पास सुरक्षित होगा संस्थापक का निर्णय अंतिम निर्णय होगा। इस पर किसी आवेदक/किसी अन्य के द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं की जा सकती है।
38- AECT-UP में सदस्यता सिर्फ सेवा में बने रहने तक है,सेवा समाप्ति होते ही सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी।
39- प्रत्येक दिवंगत कर्मचारी के नामिनी को सहयोग हेतु प्रारम्भ में 50 रुपए प्रत्येक सदस्य के द्वारा सहयोग करना निर्धारित किया गया है।
भविष्य में सदस्यों की संख्या के आधार पर संस्थापक के द्वारा प्रदेश कोर टीम के विचार से दिवंगत सहयोग राशि तथा विवाह (कन्यादान) योजना सहयोग राशि को समय समय पर स्थितियों के अनुसार कम किया जा सकता है।
इस पर किसी के द्वारा कोई आपत्ति नही की जा सकती है संस्था के संस्थापक का निर्णय सर्वमान्य होगा।
40- All Employee Care Team - Uttar Pradesh (AECT-U.P.) किसी प्रकार की सांगठनिक संस्था नही है, इसका उद्देश्य संस्था में जुड़े सदस्यों के द्वारा आपसी आर्थिक सहयोग से वैधानिक मृतक सदस्य के नामिनी तथा बेटी के विवाह में सहयोग प्रदान करवाना।